पब्लिकेशन स्टोरी/बुक कैफे
मुझे किताबें पढ़ते हुए कई साल हो गए हैं…शायद 30 साल. वेद जी, पाठक जी, अनिल जी के साथ साथ 90 के दशक के अधिकतर राइटर्स को पढ़ता था. तब सोचता था क्या एक लेखक, एक सफल बुक पब्लिशर बन सकता है क्या… पता चला कि पहले जनप्रिय लेखक श्री ओमप्रकाश शर्मा जी, फिर वेदप्रकाश शर्मा जी ने लेखन और प्रकाशन दोनों काम सफलतापूर्वक किये थे.

जनवरी 2021 में मैंने पाइरेसी के खिलाफ कई लेखकों के पक्ष में एक नोटिस तैयार किया था, तब नोटिस के संदर्भ में पहली बार 90 के दशक के एक सफल लेखक अमित खान जी से मेरी फ़ोन पर पहली बार बात हुई, जिनकी किताबें मैं कई सालों से पढ़ रहा था. उनके करैक्टर “करण सक्सेना” से प्रभावित था, उनसे बात करके दिल खुश हो गया.
बात आगे बढ़ी तो पता चला, अमित जी का खुद का एक बुक पब्लिकेशन है जिसका नाम “बुक कैफ़े” है, जहां से मैं पहले ही कई बुक्स मंगा चुका था और बुक्स की क्वालिटी मुझे पहले ही प्रभावित कर चुकी थी. बुक कैफ़े अमित जी ने 2018 में स्टार्ट किया था, तब उनकी ही लिखी दो किताबों का पहला सेट आया था, तेरी मेरी कहानियां और सर्जिकल स्ट्राइक. आगे बात चली तो पब्लिकेशन के नाम के बारे में पता चला कि, पहले सब पब्लिशर पॉकेट बुक्स के नाम से अपने पब्लिकेशन का नाम रखते थे, नए जमाने मे, नई जेनरेशन के लिए अमित जी ने नए जमाने का ही नाम चुना “बुक कैफ़े”, जिसके नाम में ही अट्रैक्शन है.
बुक कैफ़े को स्टार्ट करने का परपज, पुराने राइटर्स के साथ-साथ नये टैलेंटेड राइटर्स की बुक्स छापना तो था ही, साथ में अच्छी कहानी और क्वालिटी बुक्स, कम से कम कीमत पर उपलब्ध कराना भी है.
बुक कैफ़े के सौजन्य से हमें पुराने और फेमस राइटर्स जैसे परशुराम शर्मा जी, अनिल मोहन जी और अमित जी की खुद की कई पुरानी नायाब किताबें पढ़ने को मिलीं और आगे भी आ रही हैं, जैसे अनिल मोहन जी की, “डकैती का अलार्म”, परशुराम शर्मा जी की “दस जनवरी की रात” और खुद अमित जी की “मैडम नताशा का प्रेमी, कौन जीता कौन हारा, हादसे की रात, बवंडर, छापामार और कई बहुत सी शानदार बुक्स.
एक खास बात जो अमित जी से बात करने पर पता चली, वो ये थी कि वो हर पुरानी किताब को छापने से पहले खुद ही प्रूफ रीडिंग, एडिटिंग और जहां तक हो सके, कहानी को और नए जमाने के हिसाब से बेहतर करने की कोशिश करते हैं.
नए राइटर्स में संतोष पाठक जी की “हैरतअंगेज हत्या”, विक्रम ई. दीवान जी की वार लॉक 1 व 2 और फर्स्ट वैम्पायर, प्रेम एस. गुज्जर की “दूसरी दुनिया” बुक कैफ़े से आ चुकी हैं और अब नए सेट में अमित श्रीवास्तव जी की “दौलत के दीवाने” आने वाली है.
बुक्स की पब्लिसिटी, मार्केटिंग के बारे में बात चली तो पता चला, फेसबुक, इंस्टाग्राम के द्वारा ही काफी पब्लिसिटी हो जाती है, अमेज़न और फ्लिपकार्ट के अलावा बुक कैफ़े खुद भी कूरियर और पोस्ट के द्वारा बुक्स डिलीवर करता है अपने पाठकों को. किताबों की सेल पर उनका सीधा साधा जवाब था, कहानी में दम होगा तो किताब की सेल होगी ही, किताब का फ्रंट कवर या प्रिंटिंग क्वालिटी रीडर को बुक खरीदने में तो मदद कर सकती है, पर बुक की असली सेल तो उसकी दमदार कहानी की वजह से ही होती है. अच्छी कहानी के बाद अगर बुक की सेल बढ़ती है, तो लेखक का उत्साह बढ़ता है और लेखक को सफलता भी अच्छी कहानी के दम पर ही मिलती है. बुक कैफ़े का तीन साल से पब्लिकेशन के मैदान में टिके रहना, बुक कैफ़े की सफलता की ही निशानी है. पिछले तीन सालों में बुक कैफ़े से 35 के आसपास बुक्स आ चुकी हैं.
क्या रीडर का अपने लेखक से मजबूत रिश्ता हो सकता है, या रीडर, लेखक से अपनापन या जुड़ाव महसूस कर सकता है? इसका भी सीधा सा जवाब वही है, अगर लेखक की कहानी में दम है, रीडर को कहानी पसंद है, तो लेखक से जुड़ाव तो, अपनापन तो हो ही जाता है.
आज के फ़िल्म, वेब सीरीज के जमाने मे लेखक को टिकना हो तो, अच्छी कहानी के साथ साथ, बुक की पब्लिसिटी भी जरूरी हो गईं है, बुक कैफ़े के साथ , अमित जी का नाम जुड़ना भी पब्लिसिटी होने जैसा ही है और माउथ पब्लिसिटी से भी बुक कैफ़े को अपना काम आगे बढ़ाने में बहुत मदद मिली.
पहले से ही मार्किट में बहुत से पब्लिशर होने पर भी बुक कैफ़े ने कम समय में अपनी जगह बनाई तो इसका कारण, बुक कैफ़े से अच्छी बुक्स, अच्छे राइटर्स की बुक्स आने के अलावा बुक्स की बेहतरीन पेजेस और प्रिंटिंग क्वालिटी रही.
अमित जी ने एक बात तो साबित कर ही दी कि, एक लेखक, एक सफल पब्लिशर बन सकता है. उम्मीद है आगे भी बुक कैफ़े शानदार और बढ़िया किताबें मिलती रहेंगी.
- एड.संजीव शर्मा, पुणे
U.K.Pandey
Nice post.
AMIT WADHWANI
शानदार आलेख।
Hadi Hasan
शर्मा जी,
नमस्कार ।
30 वर्षों का आपका तजुर्बा मानी रखता है । यह अकाट्य सत्य है कि जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी ने प्रकाशन के क्षेत्र में आकर अच्छा काम किया था । वही काम वेद जी ने किया और वैसा ही काम अमित जी व्दारा किया गया । तीनों लेखक कामयाब रहे । आपका आंकलन एकदम सही ।
हादी हसन
Sanjeev sharma
थैंक्स हसन जी विकी आनंद को भी खूब पढ़ा है
jitender nath
बहुत बढ़िया लेख, शर्मा जी।
विकास नैनवाल
रोचक…. इस बात से पूर्णतः सहमत की आखिरकार कहानी ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है…