फलां शहर की फलां गली, फला मोहल्ला, फलां लैंडमार्क के बगल में या सामने, जिला का नाम, राज्य का नाम और पिन कोड… यही सब जानकारियां हैं न, जो आपको कहीं पर भी अपना पता लिखते समय उपलब्ध करानी पड़ती हैं. लेकिन जल्द ही यह गुजरे जमाने की बात बनने जा रही है. क्योंकि, भारतीय डाक विभाग एक ऐसी योजना पर काम कर रहा है, जिसके अमल में आने के बाद आपको कहीं भी अपना पूरा पता लिखने की जरूरत नहीं होगी. बस, जिस मकान में आप रहते हैं, आपको उसका यूनिक डिजीअल एड्रेस कोड दर्ज करना होगा.

जिस तरह हमारी पहचान के लिए यूनिक आधार संख्या उपलब्ध है, उसी प्रकार आपके निवास स्थान के लिए भी एक बारह डिजीट का यूनिक कोड मिला करेगा, जो छह अंक वाले पिन कोड की जगह ले लेगा. देश में अभी लगभग 75 करोड़ घर/भवन हैं. डाक विभाग इन सभी को तीन—तीन सौ में बांटकर करीब 25 लाख नेबरहुड ब्लॉक बनाने की योजना पर काम कर रहा है.
इस योजना की विशेषता यह है कि अगर किसी भवन में बीस फ्लैट यूनिट भी हैं तो हर यूनिट का एक यूनिक कोड होगा, जो डिजिटल मैप सर्विस से संचालित होगा. सैटेलाइट डिजिटल एड्रेस कोड के जरिए हर घर की सटीक लोकेशन बता सकेंगे, जिससे कोई भी पत्र, ऑनलाइन प्रॉडक्ट, फूड डिलीवरी, कैब यूनीक कोड के जरिए सीधे उपभोक्ता के घर के दरवाजे तक पहुंच सकेगा.
इससे दूसरा लाभ यह होगा कि किसी भी एड्रेस का आॅनलाइन वेरिफिकेशन किया जा सकेगा और कई बार पता लिखने में कुछ कम—ज्यादा हो जाने की वजह से वेरिफिकेशन डिनाइड की जो समस्या आती है, उससे भी निजात मिलेगी.