अगर कोई आप से यह सवाल पूछे तो आपका दिमाग चकरा जाएगा कि पूछने वाले का भेजा सटक गया है क्या. लेकिन, अगर न्यूजीलैंड की माओरी पार्टी को अपने अभियान में सफलता मिली तो फिर न्यूजीलैंड को आॅफिशियली इसी नाम से जाना जाएगा. जैसे कि म्यांमार का पुराना नाम बर्मा हम कभी का इस्तेमाल करना छोड़ चुके हैं.

हाल ही में माओरी पार्टी ने एक ऑनलाइन पिटीशन इनिशिएट की है जिसमें मांग की गई कि न्यूजीलैंड का नाम बदलकर आओतिएरोआ और देश के सारे शहरों, कस्बों और जगहों को उनके माओरी काल में प्रचलित वे सारे नाम वापस दिए जाएं जो अंग्रेजों के आने के बाद बदल दिए गए. याचिका में ते रिओ माओरी को देश की पहली और आधिकारिक भाषा का दर्जा दिए जाने की भी मांग की गई है. इसके लिए पार्टी ने 2026 तक का समय दिया है.
माओरी पार्टी की इस मांग को कितना बड़ा समर्थन मिल रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि याचिका के पहले दो दिनों में ही इस पर पचास हजार से अधिक लोग हस्ताक्षर कर चुके थे.
न्यूजीलैंड के मूल निवासी माओरी लोगों का मानना है कि आओतिएरोआ नाम इस जगह को पूर्वी पोलीनिजिया से आए एक यात्री कूपे ने दिया था. यह नाम 1200-1300 ईसवी में प्रचलित माओरी लोक कथाओं में मिलता है, जिनके मुताबिक कूपे, उनकी पत्नी कुरामारोतिनी और उनके जहाज का चालकदल एक ऐसी जगह की खोज में निकले थे जो क्षितिज के पार हो. तब उन्हें सफेद बादल में लिपटी यह जगह मिली.उसे देखकर कुरामारोतिनी चिल्लाईं, .”हे आओ! हे आओ! हे आओतिआ! हे आओतिएरोआ!.” जिसका अर्थ है, एक बादल, एक बादल! एक सफेद बादल! एक लंबा सफेद बादल!
कहानी के दूसरे प्रचलित रूप में कहा गया है कि जमीन को सबसे पहले कूपे की बेटी ने देखा था और उस छोटी नाव के नाम पर जगह का नाम रख दिया जो उस वक्त कूपे चला रहे थे.
न्यूजीलैंड नाम का जिक्र 1640 ई. में भी मिलता है जब डच यात्री आबेल तस्मान ने न्यूजीलैंड का दक्षिणी द्वीप देखा था. तब इस द्वीप को नीदरलैंड्स के जीलैंड प्रांत के नाम पर न्यूजीलैंड यानी नया जीलैंड कहा गया. नीदरलैंड्स का भी मूल नाम हॉलैंड है. लेकिन, दुनिया भर में नीदरलैंड्स को ही ज्यादा स्वीकार्यता है.
एक सदी बाद कैप्टन जेम्स कुक ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का सटीक नक्शा बनाने की कोशिश की और तब इस जगह को न्यूजीलैंड के नाम से ही दर्ज किया.
अब देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है, क्योंकि देश की एक बड़ी आबादी आओतिएरोआ नाम की ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता को लेकर आश्वस्त नहीं है. इस वर्ग का मानना है कि यह नाम कुछ सौ साल पहले ही अस्तित्व में आया है. हो सकता है कि यह पूरे देश का नहीं बल्कि किसी एक द्वीप का ही नाम रहा हो.
- सूरज तेलंग