आजकल देखने या सुनने में आ रहा है कि कई स्वघोषित/ मित्रपोषित सफल लेखक अक्सर दूसरे लेखक सलाह देते नजर आते हैं कि भाई, आप एक साल में दो या तीन या ज्यादा से ज्यादा चार बुक लिखें, जिसमें कहानी की क्वालिटी पर विशेष ध्यान दें…क्वांटिटी पर नहीं या कहें कहानी के कंटेंट पर रिसर्च करके लिखें. ऐसी ही सलाह, पब्लिशर और पाठक भी अपने प्रिय लेखक को देते दिख जाते हैं.

आखिर यह क्वालिटी लेखन है क्या, क्या जो बुक खूब बिके वो क्वालिटी लेखन है या जिस किताब को लिखने से लेखक को आत्मसंतुष्टि मिले, वो क्वालिटी लेखन है? या जिस किताब को पढ़ कर पाठक ज्यादा सराहें या तारीफ करें, वो क्वालिटी लेखन है? सवाल का जवाब असल में बड़ा मुश्किल ही है, क्योंकि हर किसी के जवाब अलग अलग हैं, सबका अपना अपना नजरिया है इस बारे में.
अव्वल तो यह बात समझ से परे है कि ज्यादा लेखन, क्वालिटी लेखन नहीं होता. मुंशी प्रेमचंद ने चार सौ से अधिक कहानियॉं, एक दर्जन उपन्यास और दूसरी कई चीजें लिखीं… क्या उनके लेखन में क्वालिटी नहीं थी? कृशनचंदर ने सौ के करीब उपन्यास और इससे भी ज्यादा कहानियॉं लिखीं, क्या उनके लेखन को क्वालिटी लेखन नहीं माना जाना चाहिये ? भारत में सुरेंद्र मोहन पाठक, जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा, वेदप्रकाश शर्मा, वेदप्रकाश काम्बोज जैसे हिंदी गल्प साहित्य के अनेक मूर्धन्य हैं, जिन्होंने सैंकड़ों किताबें लिखीं… किसी के भी लेखन की क्वालिटी पर कभी कोई प्रश्नचिन्ह लगा हो, ऐसा कभी शायद ही किसी की जानकारी में आया हो.
कुछ लेखक सच में ही साल में दो या तीन या कहें चार किताब लिख रहें है आजकल शायद दूसरे कार्यों में व्यस्त रहते हों, पर अगर किसी लेखक के पास समय है या उसमें कुछ नया लिखने का जुनून है, जोश है या लेखक के पास कहानी के अलग अलग प्लॉट या नए आइडिया है, तो भाई वो लेखक साल में चार किताब ही क्यों लिखे, उससे ज्यादा क्यों नहीं ? अगर लेखक के पास समय है, कहानी है, तो उसे, जितनी वो साल भर में लिख सकता है उतनी किताब लिखनी ही चाहिए, ये सोच कर चुप नहीं बैठना है कि मैने तो चार बुक्स लिख ली अब अगले साल लिखूंगा.
साहब जी, कोई माने या ना माने हर लेखक कमाई के लिए ही किताब लिखता है, सिर्फ नाम कमाने के लिए, या आत्मसंतुष्टि के लिए नहीं, नाम तो अपने आप हो जाता है, और संतुष्टि तब ही मिलती है, जब बुक्स से अच्छी कमाई हो. थोड़ा धैर्य जरूर रखना पड़ता है, लेकिन अगर लेखक लगातार लिखे और अच्छा लिखे और अगर लेखक की कहानी में दम हो तो दाम भी मिलते हैं और नाम भी.
उदाहरण के लिए, आप ही सोचिए कि अगर एक लेखक एक साल में चार किताब लिख का चार लाख कमाता है और दूसरा लेखक एक साल में आठ किताब लिख कर आठ लाख कमाता है तो किसे ज्यादा आत्मसंतुष्टि मिलेगी, किसका ज्यादा नाम होगा? चर्चा भी उसी लेखक की ज्यादा होती है जो लगातार लिखे और अच्छा लिखे और जिसे पाठक लगातार पढ़ना चाहें. इसका जीता जागता उदाहरण लेखक संतोष पाठक, अनुराग कुमार जीनियस, शुभानन्द जी और कई लेखक जो लगातार लिख रहें हैं और अच्छा लिख कर अपना नाम और शायद, जैसी कि उम्मीद की जानी चाहिए, बहुत अच्छी कमाई भी कर रहे हैं, असल में अच्छी कमाई ही अच्छा और लगातार लिखने का सबसे अच्छा टॉनिक है और जिस लेखक को ये टॉनिक मिल जाता है वो लेखक लगातार लिखने, अच्छा लिखने के लिए खुद ही प्रोत्साहित हो जाता है. साथ में लेखक का आत्मविश्वास बढ़ जाता है और लेखक को आत्मसंतुष्टि के साथ नाम भी मिल जाता है, जो कुछ लोगों के हिसाब से बहुत जरूरी है.
कुछ लेखकों ने पहली या दूसरी किताब लिख कर लंबा गैप किया है अगली किताब लिखने में. कारण तो उन्हें ही पता होगा, पर इससे नुकसान लेखक का ही होता है . खासकर. जब रीडर्स के पास चॉइस बहुत हों. मेरा एक लेख पढ़कर लेखक जितेंद्रनाथ जी प्रोत्साहित हुए और उन्होंने “चौसर” बहुत कम समय में लिख दिया, इसी तरह से संदीप अग्रवाल जी की नयी किताब रोबोक्रेसी- द जजमेंट डे भी शायद जल्दी ही आने वाली है.
किसी भी लेखक की लेखनी में तब ही क्वालिटी भी तभी आती है जब वो लगातार लिखे और अपनी सुविधा और समय के हिसाब से जल्द से जल्द लिखे, जिससे लेखक की लेखनी में निरंतरता बनी रहे और लेखक अपने नाम के साथ अच्छा दाम भी पाए.
- एडवोकेट संजीव शर्मा, पुणे
Anurag kumar Genius
आपके विचारो से पूरी तरह सहमत हूं सर
Raj Rishi Sharma
आपके विचार प्रशंसनीय तथा
प्रोत्साहनात्मक हैं।
ब्रजेश कुमार शर्मा
बहुत अच्छा लेख। ये बात सच है कि जल्दी लिखने पर क्वालिटी पर असर पड़ सकता है लेकिन ये लेखक की क्षमता पर भी निर्भर कर सकता है। महीने में एक किताब लिखने वाला लेखक भी अच्छी किताब लिख सकता है और ये भी हो सकता है कि साल भर में एक किताब लिखने वाला लेखक भी उतना अच्छा न लिख पाए।
Jitender Nath
सही कहा आपने 💐👏
राजेंद्र कोकने
बहुत खूब ओर् उचित लीखा आपने
Mit gupta
बहुत बढ़िया लेख। लेखकों के उत्साहवर्धन में सहयोगी। धन्यवाद संजीव जी।
दिलशाद
सही लिखा आपने।
Anadi Subhanand
बहुत ही बढ़िया लेख। एकदम सही कहा आपने। More and more practice makes any skill perfect.