कांसास स्टेट विश्वविद्यालय में हुए एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि यदि आवश्यक कदम न उठाए गए तो आगामी दशकों में क्लाइमेट चेंज के कारण मौसम का बिगड़ता मिजाज दुनिया की गेंहू की उपज को कम से कम एक चौथाई कम कर देगा.अगले तीस सालों में दुनिया की आबादी करीब 9.6 अरब होने का अनुमान है. उस वक्त वर्तमान से कम से कम दो गुने भोजन की जरूरत होगी.

गेंहू इस जरूरत को पूरा करने में अहम भूमिका निभाता रहा है. ऐसे में जब गेंहू का उत्पादन ही कम हो जाएगा, तब क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना करना कोई मुश्किल नहीं है.इस चौंका देने वाले अध्ययन में बताया गया है कि ऐहतियाती उपायों को अमल में न लाना, तापमान में प्रत्येक सेल्सियस की वृद्धि के साथ गेंहू के उत्पादन में छह प्रतिशत की गिरावट का कारण बन सकता है. . इस गिरावट को जेनेटिक बदलावों और फसल प्रबंधन के जरिए कुछ हद तक कम किया जा सकता है.