भोपाल में मरीजों को अच्छा इलाज मुहैया कराने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, इसके बावजूद व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो रहा है। राजधानी के डॉ. कैलाश नाथ काटजू अस्पताल को 30 करोड़ की लागत से बनाया गया है। यह अस्पताल महिलाओं के लिए रिजर्व किया गया है। यहां केवल मेटरनिटी वार्ड बनाया गया है। इतना खर्च करने के बाद भी अस्पताल में आने वाले मरीजों को ना तो सही इलाज मिल रहा है, ना ही उनके परिजनों को बैठने तक की व्यवस्था की गई है।राजधानी में इन दिनों 45 डिग्री से ज्यादा तापमान दर्ज किया जा रहा है। इसके बावजूद यहां मरीजों के परिजनों को अस्पताल के बाहर खदेड़ दिया जाता है। उन्हें इस भीषण गर्मी में अस्पताल परिसर में पेड़ के नीचे रहना पड़ रहा है। जबकि अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर में मरीज के परिजनों के बैठने के लिए कुर्सियां लगाई गई हैं। जहां पूरी तरह एयर कंडीशन की व्यवस्था की गई है, लेकिन यहां के अधीक्षक की तानाशाही के चलते इस हाल में केवल गार्ड ही बैठे रहते हैं। मरीजों के परिजनों को दोपहर 1 बजे ओपीडी समाप्त होने के बाद बाहर कर दिया जाता है। दरअसल काटजू अस्पताल में मेडिकल फील्ड से हटकर कर्नल पीके सिंह को अधीक्षक बनाया गया है। अस्पताल में उनका खुद का रूल चलता है। जिस वजह से अस्पताल की व्यवस्थाएं बिगड़ रही हैं।


महिला अस्पताल में पुरुषों को जाने की अनुमति नहीं
काटजू अस्पताल के अधीक्षक कर्नल पीके सिंह का मानना है कि महिला अस्पताल में पुरुष अंदर नहीं आ सकते, जबकि ग्राउंड फ्लोर पर कोई भी वार्ड नहीं है। अधीक्षक का कहना है कि मरीज के साथ आने वाले परिजन अस्पताल के अंदर गंदगी फैलाते हैं। गुटखा खाकर जगह-जगह थूक देते हैं। इस वजह से उन्हें अंदर बैठने नहीं दिया जाता है। पेशेंट के साथ केवल एक अटेंडर वह भी महिला ही रह सकती है। बाकी की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। परिजन अपनी व्यवस्था खुद करें।

अधीक्षक का खौफ इतना कि परिजन बोलने को तैयार नहीं


प्रसूति महिलाओं के साथ आए अस्पताल परिसर में बैठे परिजनों का कहना है कि इतनी बड़ी अस्पताल होने के बावजूद उन्हें अस्पताल के बाहर इस भीषण गर्मी में रहना पड़ रहा है। इससे बड़ी परेशानी और क्या हो सकती है। हालांकि अस्पताल के बाहर बैठे कोई भी परिजन अधीक्षक के डर के चलते अपना नाम तक नहीं बताते हैं। यहां पर मौजूद परिजनों का कहना था कि हमारा मरीज अस्पताल के अंदर भर्ती है। इसलिए हम अस्पताल के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल सकते। अगर कुछ बोलेंगे तो मरीज के जान को भी खतरा हो सकता है। चाहे जितनी गर्मी पड़े यहीं गुजार लेंगे।


30 करोड़ से ऐसी बनाई गई है अस्पताल


काटजू अस्पताल को दो साल पहले 30 करोड़ की लागत से बनाया गया है। इस अस्पताल को 300 बेड का बनाया गया है। यहां तीन लेबर रूम तैयार किए गए हैं। प्रसव के बाद प्रसूता के गंभीर होने पर आइसीयू में रखने की व्यवस्था भी है। साथ ही एसएनसीयू, आईसीयू, लेबर रूम के साथ साथ जनरल वार्ड भी मौजूद है। दूसरी मंजिल पर 50 बेड का आईसीयू वार्ड है, इसमें 20 बिस्तर का एसएनसीयू व 30 बिस्तर का प्रसूति आईसीयू है। इसके अलावा मदर मिल्क बैक, ब्लड बैंक, सोनोग्राफी समेत निश्चेतना विभाग भी अस्पताल में अलग से मौजूद है। अस्पताल में 3 सोनोग्राफी मशीनें हैं।