भगवान गणेश की आरती को हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. यह आरती न सिर्फ श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में सुख, समृद्धि और समर्पण की भावना को भी जाग्रत करती है. भगवान गणेश का पूजन विशेष रूप से बुधवार के दिन किया जाता है, क्योंकि यह दिन उनकी पूजा के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान गणेश की आरती में “बांझन को पुत्र देत” क्यों कहा जाता है? आइए, इस पर विस्तार से जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

भगवान गणेश की आरती में “बांझन को पुत्र देत” शब्दों का उपयोग बहुत विशेष है. यह शब्द न सिर्फ एक आध्यात्मिक सत्य को व्यक्त करते हैं, बल्कि एक आस्था और विश्वास को भी स्थापित करते हैं. यहां ‘बांझन’ शब्द का प्रयोग एक महिला के लिए किया गया है, जो संतान सुख से वंचित है. “पुत्र देत” का अर्थ है कि भगवान गणेश अपनी कृपा से ऐसी महिलाओं को संतान का सुख प्रदान करते हैं

भगवान गणेश की महिमा के अनुसार, वह न सिर्फ बाधाओं को दूर करने वाले हैं, बल्कि उनका आशीर्वाद ऐसे व्यक्तियों के लिए भी है, जिनकी जीवन में किसी प्रकार की कमी हो. यह आरती हमें यह संदेश देती है कि भगवान गणेश के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयां और विघ्न दूर हो सकते हैं. विशेष रूप से संतान सुख से वंचित महिलाएं यदि सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करती हैं, तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है.

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. चाहे वह शिक्षा, व्यवसाय या परिवारिक जीवन हो, भगवान गणेश का आशीर्वाद सभी क्षेत्रों में सफलता की कुंजी है. भगवान गणेश के भक्तों का मानना है कि उनकी पूजा से जीवन की तमाम परेशानियों का समाधान मिलता है. आरती में जो “अंधन को आंख देत” और “कोढ़िन को काया” कहा जाता है, वह भी भगवान गणेश की कृपा को ही दर्शाता है, जो हर व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक संकटों से मुक्ति दिलाते हैं.

भगवान गणेश की आरती के माध्यम से हम यह संदेश भी प्राप्त करते हैं कि भगवान हमारे जीवन के हर पहलू में हमारी मदद करते हैं. चाहे वह आर्थिक तंगी हो, मानसिक परेशानियां हों या फिर संतान सुख की इच्छा हो, भगवान गणेश की पूजा से हम इन सभी समस्याओं से उबर सकते हैं. “बांझन को पुत्र देत” का मतलब सिर्फ संतान सुख ही नहीं, बल्कि जीवन में खुशियों और समृद्धि की प्राप्ति भी है.

श्री गणेश की आरती का पाठ

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय…॥

एकदंत, दयावंत, चारभुजा धारी.
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय…॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया.
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय…॥

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा.
लडुअन का भोग लगे, संत करे सेवा ॥ जय…॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी.
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी ॥ जय…॥

भगवान गणेश के इस आशीर्वाद से हम सभी को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त हो.