इस व्रत से कट जाते हैं जाने-अनजाने किए गए पाप! खुश होते हैं विष्णु भगवान, मिलता है पितरों का आशीर्वाद!
साल भर में होने वाली सभी एकादशी का अपना-अपना महत्व होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल भर में 24 एकादशी आती हैं. सभी एकादशी तिथि विष्णु भगवान को समर्पित होती हैं. इस दिन विष्णु भगवान की आराधना, पूजा पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, विष्णु भगवान के स्तोत्र आदि का पाठ करने पर चमत्कारी लाभ प्राप्त होने की धार्मिक मान्यता है.
ऐसे ही ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. ज्येष्ठ मास में अपरा एकादशी का व्रत करने से जाने अनजाने में हुए अनेक पापों से मुक्ति मिल जाती है. साल 2025 में अपरा एकादशी का व्रत 23 मई शुक्रवार को किया जाएगा.
क्या है इस दिन का महत्व
अपरा एकादशी पर किन पापों से मुक्ति मिलती है इसकी ज्यादा जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि साल भर में होने वाली 24 एकादशी में अपरा एकादशी का अपना महत्व है. ये एकादशी ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होती है. हिंदू धर्म में स्थिति का विशेष महत्व होता है धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत विधि विधान से करने पर जाने अनजाने में हुए कहीं पापों से मुक्ति मिल जाती है.व
मिलती है पापों से मुक्ति
वे आगे बताते हैं कि धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत करने से जाने अनजाने में हुए गोहत्या का पाप, परस्त्रीगमन का पाप, झूठ बोलने का पाप, निंदा करना, झूठी गवाही देना आदि सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. अपना एकादशी के दिन पापों से मुक्ति मोक्ष की प्राप्ति और जीवन में चल रही सभी आर्थिक मानसिक समस्याएं खत्म हो जाते हैं.
पितरों का आशीर्वाद मिलता है
वह आगे बताते हैं कि अपरा एकादशी का व्रत करने से जहां इन सभी पापों से मुक्ति मिलती है तो वही पितरों के लिए भी यह एकादशी बेहद ही खास और विशेष फल प्रदान करने वाली होती है. अगर पितृ प्रेत योनि में भटक रहे हों तो पितरों को उनके लोक जाने और मुक्ति दिलाने में अपरा एकादशी के दिन घर के बाहर आंगन में या तुलसी के पास चौहमुखी दीपक जलाने पर पितरों की शांति हो जाती है. यह उपाय अपरा एकादशी के दिन करने से पितृ प्रसन्न होकर अपने लोक चले जाते हैं और वंशजों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं.