बिहार की सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे चिराग पासवान, NDA में मचा घमासान
पटना : बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग ने अभी मतदान की तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच बयानबाज़ी और रणनीति का दौर शुरू हो गया है।
इस बीच लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करके NDA खेमे में नई हलचल मचा दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाने वाले चिराग पासवान का यह कदम NDA की एकजुटता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है।
एक हफ्ते में क्यों बदले चिराग पासवान के सुर
हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान ने एक महीने पहले आयोजित 'नवसंकल्प महासभा' में घोषणा की थी कि लोजपा बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” का नारा देते हुए खुद को जनता के हितों का प्रतिनिधि बताया था।
हालांकि, इसके कुछ दिन बाद उन्होंने कहा कि बिहार में NDA की सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। लेकिन 6 जुलाई को छपरा में एक जनसभा के दौरान उन्होंने फिर दोहराया कि लोजपा सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस यू-टर्न ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या चिराग बना रहे हैं दबाव की रणनीति
राजनीतिक जानकार ओपी अश्क के अनुसार, चिराग पासवान के बार-बार बदलते रुख के पीछे रणनीतिक दबाव की कोशिश हो सकती है। उनका उद्देश्य एनडीए में सीटों को लेकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना हो सकता है। साथ ही, उनके भीतर मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा भी देखी जा रही है।
चिराग पासवान को केंद्र में मंत्री पद जरूर मिला है, लेकिन राज्य सरकार में उनकी राजनीतिक भूमिका सीमित रही है, जिससे वह असहज महसूस कर सकते हैं।
बिहार में कौन रोक रहा है चिराग को
छपरा की जनसभा में चिराग ने यह भी कहा कि उन्हें बिहार आने से रोकने की साजिश हो रही है। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, पर संकेत नीतीश कुमार की ओर माना जा रहा है।
चिराग लंबे समय से बिहार की कानून व्यवस्था पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना करते रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जेडीयू के खिलाफ 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिससे जेडीयू को भारी नुकसान हुआ था।
क्या 2020 की रणनीति फिर दोहराएंगे चिराग
2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा सिर्फ एक सीट जीत पाई थी, लेकिन चिराग की रणनीति ने जेडीयू को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें मिली थीं, जबकि लोजपा ने कई सीटों पर जेडीयू को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अब फिर से सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा से चिराग ने यह संकेत दे दिया है कि वह एक बार फिर जेडीयू को चुनौती देने की तैयारी में हैं।
नीतीश कुमार को 'पलटू राम' क्यों कहा गया
2024 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़कर एक बार फिर एनडीए का दामन थाम लिया था। इसके बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना गुट ने उन्हें 'पलटू राम' की संज्ञा दी थी।
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में लिखा गया था –
“अयोध्या में जय श्रीराम के नारे लग रहे हैं और बिहार में जय श्री पलटू राम के।”
यह व्यंग्य नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने को लेकर था।
निष्कर्ष:
बिहार चुनाव 2025 से पहले चिराग पासवान की सक्रियता और उनके बयानों में बदलाव से यह साफ हो गया है कि NDA के भीतर समीकरण बदल सकते हैं। कहीं चिराग एक बार फिर ‘किंगमेकर’ की भूमिका में तो नहीं आना चाहते?