स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया बयान पर गहरी चिंता व्यक्त करता है, जिसमें रूस के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों पर "अनिर्दिष्ट दंड" और  प्रतिशत टैरिफ की धमकी दी गई है।

वास्तविकता यह है कि भारत स्वाभाविक रूप से रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए रक्षा उपकरण खरीदने और जहाँ से भी कच्चा तेल मिले, उसे सबसे सस्ते दामों पर खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि घरेलू मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बना रहे।

अगर अमेरिका सोचता है कि वह इस तरह की धमकियाँ देकर हमारे देश को दबा सकता है, तो उसे अपनी रणनीति में बदलाव करने की ज़रूरत है। आज का भारत एक दशक पहले जैसा भारत नहीं है। हम हथियार उत्पादन में एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहे हैं, हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया को दिखा दिया है कि हम सामरिक दृष्टि से आत्मनिर्भर हैं। अमेरिका को समझना होगा कि विश्व अब एकध्रुवीय नहीं रह गया है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने ऐसे समय में भारत के रूप में एक रणनीतिक साझेदार के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का फैसला किया है जब अमरीका समेत पूरी दुनिया को चीन द्वारा व्यापार और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के हथियारीकरण से उत्पन्न कहीं अधिक बड़ी चुनौती का सामूहिक रूप से जवाब देने की जरूरत है । दुर्लभ मृदा निर्यात पर बीजिंग के प्रतिबंधों ने दुनिया भर में विनिर्माण क्षमताओं को खतरे में डाल दिया है। यही समय है कि अमेरिका और भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देकर इस समस्या का समाधान करने के लिए हाथ मिलाएँ। 

हम भारत सरकार को चल रही भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ताओं के दौरान दबाव के विरुद्ध दृढ़ता से खड़े रहने के लिए बधाई देते हैं। पारस्परिक शुल्कों की धमकियों और 9 जुलाई और 31 जुलाई की समय-सीमा चूक जाने के बावजूद, भारतीय वार्ताकारों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) कृषि उत्पादों, डेयरी आयात और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों के लिए हमारे बाजारों को जबरन खोलने के प्रयासों का उचित रूप से विरोध किया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिका द्वारा विश्व व्यापार संगठन के नियमों के दायरे से बाहर टैरिफ कम करने के लिए कई देशों पर दबाव डाला जा रहा है, अक्सर "पारस्परिकता" की आड़ में गैर-व्यापारिक मुद्दों का हवाला दिया जा रहा है। वर्तमान वार्ता में मुख्य अड़चनें जीएम फसलों के लिए बाजार पहुँच, चिकित्सा उपकरणों के विनियमन और अप्रतिबंधित सीमा पार डेटा प्रवाह की अमेरिकी माँग बनी हुई हैं। दूसरी ओर, भारत ने इस्पात, ऑटोमोबाइल और दवा शुल्कों से छूट की वैध रूप से माँग की है और डेटा स्थानीयकरण की अपनी नीति का बचाव किया है।

भारत का सैद्धांतिक रुख—कि जीएम खाद्य आयात हमारी जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा दोनों के लिए खतरा है, और संवेदनशील डेटा संप्रभु नियंत्रण में रहना चाहिए—हमारे दीर्घकालिक राष्ट्रीय हित के साथ पूरी तरह से संरेखित है।

समझना होगा कि व्यापार समझौता हो या न हो, अमेरिका को भारतीय निर्यात पारस्परिक आर्थिक लाभ के आधार पर जारी रहेगा ही। ऐसे में हमें ऐसी रियायतों से बचना चाहिए जो हमारे किसानों, लघु उद्योगों या दीर्घकालिक आर्थिक आत्मनिर्भरता को कमजोर करती हैं। हाल के वर्षों के अनुभव से पता चला है कि भारत अपने मूल हितों से समझौता किए बिना, वैश्विक व्यापार पैटर्न में बदलाव का लाभ उठा सकता है - जिसमें अमेरिका-चीन तनाव के कारण उत्पन्न परिवर्तन भी शामिल हैं।

आज भारत के लिए लैटिन अमेरिकी देशों सहित अन्य देशों के साथ अपने व्यापार में विविधता लाने का एक अवसर भी है। भारत को अपने दृढ़ रुख पर अडिग रहना चाहिए। व्यापार पारस्परिक लाभ के लिए है और अमेरिका कोई एहसान नहीं कर रहा है क्योंकि आयात उसकी घरेलू माँगों को पूरा करने के लिए है।

स्वदेशी जागरण मंच समझता है कि व्यापारिक खतरे अंततः घरेलू मुद्रास्फीति को बढ़ाकर अमेरिकी उपभोक्ताओं को नुकसान पहुँचाएँगे। भारत के लिए, कोई भी अल्पकालिक नुकसान महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने की अनिवार्यता को और मज़बूत करेगा।

स्वदेशी जागरण मंच का यह भी मानना है कि यह पारंपरिक साझेदारों से आगे बढ़कर व्यापार के विविधीकरण में तेज़ी लाने और लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, विस्तारित ब्रिक्स समूह और वैश्विक दक्षिण के साथ संबंधों को गहरा करने का समय है। हालाँकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है, लेकिन व्यापार हमेशा पारस्परिक लाभ के लिए होना चाहिए—न कि दबाव के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

स्वदेशी जागरण मंच भारत सरकार से आग्रह करता है कि वह अपना दृढ़ रुख बनाए रखे और इस अवसर का उपयोग रणनीतिक स्वायत्तता को मज़बूत करने, राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने, एक वास्तविक बहुध्रुवीय और समतामूलक वैश्विक व्यापार व्यवस्था को आगे बढ़ाने और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में निर्णायक कदम उठाने के लिए करे।

डॉ. अश्विनी महाजन 
राष्ट्रीय सह-संयोजक- स्वदेशी जागरण मंच

 

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