भाजपा की जेडीएस से गठबंधन की तैयारी
नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुएनई रणनीति तैयार की है। इस रणनीति में राज्यों के सशक्त विपक्षी दलों को एक बार फिर भाजपा गठबंधन से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। कर्नाटक में जनता दल एस के साथ गठबंधन कर एक तीर से दो शिकार करने की रणनीति पर भाजपा ने काम करना शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा से शिष्टाचार मुलाकात करके कर्नाटक में उनके साथ गठबंधन करने के लिए प्रस्ताव किया है।
कर्नाटक में अगले वर्ष चुनाव होने हैं। कर्नाटक की 89 विधानसभा सीटें मैसूर क्षेत्र की हैं।जिनमें एचडी देव गौड़ा का प्रभाव है। पिछले चुनाव में इस इलाके से भारतीय जनता पार्टी केवल 22 सीटें ही जीत सकी थी। वहीं जेडीएस ने 31 सीटों पर विजय हासिल की थी।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव और लोकसभा के चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए भाजपा के लिए आवश्यक हो गया है कि वह जेडीएस के साथ समझौता कर राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत करे। जिस तरह से विपक्ष के दल गठबंधन की बात कर रहे हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा चल रही है। महंगाई बेरोजगारी और आर्थिक मंदी से भाजपा की स्थितियां पिछले वर्षों में कमजोर हुई है। ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय दलों के साथ समझौता करके लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है।
कुछ समय पहले भारतीय जनता पार्टी ने छोटे राजनीतिक दलों को समाप्त करने की जो रणनीति अपनाई थी। अब उसमें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बदलाव कर दिया है। भाजपा के चुनाव रणनीतिकारों का मानना है कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव है।उनसे समझौता करके ही लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की जा सकती है।
कर्नाटक राज्य से इसकी शुरुआत की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भाजपा और जद एस के बीच गठबंधन करने को लेकर लगातार संपर्क में बने हुए हैं। इसकी पहली कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री देवगोड़ा की सौजन्य भेंट से जोड़कर देखा जा रहा है।
भारत जोड़ो यात्रा से चिंता
भारत जोड़ो यात्रा से जिस तरह से राहुल गांधी के प्रति विपक्षी राजनीतिक दलों के नेतृत्व का नजरिया बदल रहा है।उससे विपक्षी एकता की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। जो लोकसभा के चुनाव में भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखी जा रही है। भाजपा के रणनीतिकारों ने विपक्ष को एकजुट होने से रोकने के लिए एक बार फिर क्षेत्रीय दलों के साथ बेहतर रिश्ते बनाकर उन्हें भाजपा गठबंधन से जोड़ने की मुहिम शुरू कर दी है। जो भाजपा की बदली हुई रणनीति का संकेत है।