365° पुस्तक का विमोचन
नागपुर, 23 जून. कल यहॉं ग्लोबल जर्नलिस्ट एंड राइटर्स एसोसिएशन (जीजेडब्ल्यूए) द्वारा चिटणवीस सेंटर के मेमोसा हॉल में 365° नामक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस पुस्तक के लेखक संजय अग्रवाल हैं, जो एक विचारक, चिंतक और भारतीय राजस्व सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं और प्रकाशन अराइजिंग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट नेटवर्क द्वारा किया गया है.
जीजेडब्ल्यूए द्वारा आयोजित इस भव्य आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट और विचारक हेमंत लोढ़ा ने की. मंचासीन मुख्य अतिथियों में वरिष्ठ लेखक राजेन्द्र चांदोरकर, साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत विद्वान लेखक डॉ. विनोद आसुदानी व वरिष्ठ सीए व बुद्धिजीवी डॉ. तेजिंदर सिंह रावल प्रमुख थे. कार्यक्रम का संचालन वसंत पारधी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रवीण डबली द्वारा किया गया.
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नागपुर व अन्य शहरों से आए लेखक, बुद्धिजीवी और सुधी पाठक उपस्थित थे. इनमें डॉ. विजय कुमार शर्मा, जगदीश गुप्ता, डॉ. बी.के.शर्मा छंगाणी, अजय अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, डॉ. जगदीश बाहेती, ज्ञानेश्वर ठाकरे, सूरज तेलंग, आर.के.गणेरीवाला, टी.एस.भाल, शरद खंडेलवाल, आशीष तायल,डॉ.प्रवीण वराडकर, डॉ.योगेन्द्र अग्रवाल, उषा अग्रवाल, रागिनी जैन, बीना मैथ्यू, मिली विकमशी, डॉ.विजय द्विवेदी, विनय राजगिरे, डॉ.रिषी अग्रवाल, भुवनेश जोशी, पंकज चौधरी, नवनीत सकारिया, सौरभ सिंह आदि प्रमुखता से उपस्थित रहे. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संपर्क और संवाद समूह के सभी सदस्यों ने काफी उत्साह के साथ अपना सहयोग दिया. इनमें रविकांत साने, अनंग कावले, रोहित कोठारी, वंश पारधी, वंशज तायल, अथर्व राजगिरे, और आकाश कुरहेकर का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है.
कार्यक्रम के दौरान सभी अतिथियों ने अपने मनोगत में इस पुस्तक के लिए लेखक संजय अग्रवाल की भूरि—भूरि प्रशंसा की और इसके शीर्षक 365° की अपने—अपने ढंग से अत्यंत रोचक व्याख्याएं प्रस्तुत कीं, जिनके अनुसार 365° न सिर्फ वर्ष के 365 दिनों का प्रतीक है, बल्कि यह हमें संपूर्णता के प्रतीक माने जाने वाले 360° यानि एक सर्किल पर चलते रहने की बजाए, इससे बाहर निकलकर एक नई दिशा तलाशकर उस पर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. कार्यक्रम में संजय अग्रवाल की धर्मपत्नी श्रीमती शालिनी अग्रवाल व पुत्रवधू श्रीमती अपूर्वा अग्रवाल ने भी उनसे जुड़े अपने अनुभव साझाा किए, जिससे श्रोताओं को उनके संवेदनशील व मिलनसार व्यक्तित्व के बारे में और विस्तार से जानने का अवसर मिला.