चाणक्य विचार: पिता और पुत्र के बीच कैसा हो संबंध
आचार्य चाणक्य को भारत के महान ज्ञानियों और विद्वानों में से एक माना गया हैं जिनकी नीतियां देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता हैं चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र में पिरोया हैं।
जिसका अनुसरण अगर कोई मनुष्य कर लेता हैं तो उसका पूरा जीवन सरल और सफल हो जाएगा।
आचार्य चाणक्य ने मानव जीवन से जुड़े हर पहलु पर अपनी नीतियों का निर्माण किया हैं चाणक्य ने अपनी नीतियों के द्वारा पिता और पुत्र के संबंधों के बारे में भी बहुत कुछ कहा हैं ऐसे में आज हम आपको आचार्य चाणक्य नीति अनुसार बताने जा रहे हैं कि पिता और पुत्र के बीच संबंध कैसे होने चाहिए। जिससे पुत्र का भविष्य उज्जवल बना रहे।
चाणक्य अनुसार ऐसा हो पिता पुत्र का संबंध-
आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति के माध्यम से बताया हैं कि व्यक्ति को अपने पुत्र के साथ समय समय पर कैसा व्यवहार करना चाहिए। अगर पुत्र की आयु पांच वर्ष हैं या उससे कम हैं तो उसे भरपूर प्रेम देना चाहिए और कटु व्यवहार व बातों को करने से बचना चाहिए। इस दौरान आपका व्यवहार बहुत मधुर होना चाहिए।
इसके बाद 10 वर्ष तक पुत्र का तारण यानी देखभाल करना चाहिए। जब पुत्र की आयु 16 वर्ष की हो जाए तब उसके साथ मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए और जीवन की सभी महत्वपूर्ण बातों को शेयर करना शुरु कर देना चाहिए। ऐसा करने से पुत्र का भविष्य अच्छा होता हैं और उसके सभी सपने पूरे हो सकते हैं।