संविधान न्याय का शासन देता है, समाज न्याय शासन को स्वीकार करता है : जयप्रकाश
बिलासपुर । संविधान दिवस के अवसर पर अंबेडकर युवा मंच के द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंबेडकरवादी साहित्यकार चिंतक डॉ जयप्रकाश कर्दम संविधान दिवस के अवसर पर अंबेडकर युवा मंच के सदस्यों की तारीफ करते हुए ,कर्दम ने संविधान दिवस पर अपनी बात करते हुए कहा कि गीतों के माध्यम से विचारों को जनमानस तक पहुंचा सकते हैं, अंबेडकर युवा मंच की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सारी बातें संविधान दिवस पर बच्चों ने कह दी किताबें अंबेडकर के राजनीतिक चिंतन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले के संग मस्तिष्क में होना चाहिए की हम ही संविधान दिवस क्यों मनाते है बाकी वर्ग के लोग क्यों नहीं मानते, आज हम इसलिए मानते है की आज हमे संविधान की आवश्यकता है समानता का अधिकार हमें बाबा साहब ने दिलाया। बाबा साहब की ताकत थी की उन्होंने संविधान सभा में प्रत्येक नागरिक अधिकार दिलाया। संविधान के मूल अधिकार को लेकर उन्होंने कहा कि वर्चश एवम प्रभुत्व शाली वर्ग को यह अधिकार पहले से ही मिले है हम ही अधिकारों से वंचित थे। कुछ लोग बाबा साहब पर संविधान में कमी का दोष भी लगाते है। संविधान की सफलता संविधान के निर्माताओं के हांथ में नहीं है , डॉ .भीमराव अंबेडकर ने यह बात अपने अंतिम भाषण में कही थी। उन्होंने यह भी रेखांकित किया था संविधान लागू होने के बाद राजनीतिक रूप से लोकतांत्रिक हो जायेंगे संविधान डेमोक्रेटिक है समाज एंडेमोक्रेटिक है संविधान न्याय का शासन देता है समाज न्याय के शासन को स्वीकार करता है । धर्म और संविधान के बीच का जो द्वंद है वही संविधान की सफलता पर बाधक बना है। भारत का पवित्र ग्रंथ संविधान है। धार्मिक टिप्पणी करने वालो के खिलाफ केस बन जाता है उन्होंने संविधान की प्रतियां जलाने पर भी बेबाक टिप्पणी की। संविधान को लेकर समाज में जो सोच और निष्ठा होनी चाहिए थी वह नहीं हो सकी। संविधान एक बच्चे को नागरिक बनाने पर जोर देता है। संविधान समाज एवम व्यक्ति को मानवीय बनाता है। हम भारत के लोग मनुष्य के बीच संविधान को विभाजन नहीं करता। धर्म विभाजन सिखाता है। भारत में यही त्रासदी है। संविधान ने हमे क्या दिया इसे समझना चाहिए। बाबा साहब अम्बेडकर ने नैतिकता पर बल दिया। बाबा साहब अम्बेडकर का कहना था कि ये बहुमत का शाशन होते हुए भी वह बहुसंख्यक वर्ग का साशक होता है। 1996 में आमेदकर साहब ने कहा था कि दलित वर्ग देश में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक है और वही पीडि़त है। संविधान देश के सभी वर्गों को समान रूप से उन्नति करने का संदेश देता है। कर्दम ने कहा कि देश की आजादी के 70 साल बाद भी परिस्थिया नहीं बदली। आज भी दलित शोषित है आज सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि आप जय भीम क्यों बोलते है, जय भीम बोलने वाले व्यक्ति को जबरन मारा पीटा जा रहा है आदिवासी लोगो पर पेशाब किया जा रहा है। इतनी बड़ी घटना के बाद भी समाज में चुप्पी क्यों है इसे हमे समझना चाहिए। 90 प्रतिशत रेप को घटनाएं दलितों एवम आदिवासी पर क्यों हो रही है। समाज की यह विडंबना है कि जब बच्चा जन्म लेता है तो वह जातिवाद को साथ लेकर आता है। मानसिक गुलामी से जब तक हम मुक्त नहीं होंगे संविधान हमारी रक्षा भी कर सकता । क्यों आज हमे लग रहा है की संविधान पर संकट है। लेकिन ऐसा नहीं है संकट हम पर है। श्री कर्दम ने कहा कि बाबा साहब ने कहा था मुझे पढ़े लिखे लोगो ने धोखा दिया आज देश में कमजोर एवम गरीब वर्ग ही आंदोलन करता है आज जो सामाजिक आंदोलन में काम कर रहे है जहा बदलाव की गुंजाइश नहीं है वहा ताकत लगाने की जरूरत नहीं है हमे नई पीढ़ी बनाना है। अंबेडकर युवा मंच एक अच्छी पीढ़ी तैयार कर रहा है उन्होंने अंबेडकर युवा मंच के इस प्रयास की तारीफ की। आज बहुत कठिन समय है लेकिन हमे साहस नहीं खोना है आने वाली चुनौतियों का सामना करना है। संविधान हमे ताकत देता है संविधान को बचाना इसलिए जरूरी है आज संविधान है तो हम है हमारी गरिमा होगी। संविधान को बचाना हमारी जिम्मेदारी है देश में परिवर्तन होते रहेंगे। कांशीराम ने समाज को जागरूक किया उन्होंने सामाजिक आंकड़ा किया। बाबा साहब के बाद कांशीराम ही एक बड़े महापुरुष हुए। उन्होंने बहुजन को बहुमत में बदला। सामाजिक आंदोलन राजनीति को नियंत्रित कर सकते है। राजनीति में गूंगे लोगो की जरूरत नहीं है बोलने वाले चाहिए सदन में ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यूज़ बीक के संपादक एवं अंबेडकरवादी पत्रकार सुमित चौहान ने छत्तीसगढिय़ा बिलापुरिया सबसे बढिय़ा से अपने भाषण की शुरुवात करते हुए कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर को जब बैल गाड़ी से धक्का दिया गया तब मनुवादी सामने आया और आज उनका संविधान भारत में लागू है कांसीराम का भी जिक्र किया और कहा कि जितनी मेरी उमर नहीं उससे ज्यादा तजुर्बा रखते है। संविधान एक दस्तावेज है की मुझे इंसान मानेगा मैं बराबर हूं मेरी औलाद बराबर है तुम मुझे नौकरी से नहीं निकल सकते इस बात का दस्तावेज है उन्होंने बाबा साहब के बचपन की जीवनी भी सुनाई। उन्होंने कहा कि अपने हिस्से की खीर दुसरोको नही देना है , बाबासाहब के संविधान से बहुत कुछ देश में बदला है।
संविधान दिवस के अवसर पर अंबेडकर युवा मंच के संस्थापक सदस्य दिवंगत सुरेश रामटेके की स्मृति में प्रतिभवान छात्र छात्राओं को खेल, शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाले को बिरसा फूले अंबेडकर सम्मान भी प्रदान किया गया। अतिथियों ने सीजीपीएससी में सिलेक्टेड संजय कुर्रे रैंक - 56, चंद्रशेखर बंजारे रैंक- 56 , सी.जी क्विज कॉमपेटेशन में सिलेक्टेड सुष्मिता मंगेशकर फस्र्ट विनर , विज्ञान के क्षेत्र में प्रकाश मनहर को सेवा रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया ,कक्षा बारहवीं में 90फीसदी से अधिक अंक प्राप्त करने वाले बच्चे जयंत सोनवानी, यश गोण्डाने एवं पावर लिफ्टिंग के क्षेत्र में शीधार्थ हुमने ने नेशनल गोल्ड मेडल प्राप्त किया, खेल के क्षेत्र में जयश्री हुमने स्टैंड बॉल के क्षेत्र नेशनल गोल्ड मेडल प्राप्त किया, स्वाति सिंग को शिक्षा के क्षेत्र सम्मान प्रदान किया गया,10वीं बोर्ड में गरिमा वाहने को 90त्न से अधिक अंक प्राप्त करने पर बिरसा फूले अंबेडकर सम्मान प्रदान किया गया । अंबेडकर युवा मंच के द्वारा बिरसा फुले अंबेडकर सम्मान अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया।
डॉ बाबासाहेब अंबेडकर प्रतिमा स्थल मे आयोजित कार्यक्रम में प्रथम सत्र मे दोपहर 3:00 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम जिसमें डॉ. रोहित डहरिया एवं टिम के द्वारा सविधान एवं बहुजन महापुरुषों के जीवन पर संघर्षों पर आधारित गीत की प्रस्तुति दी गई। पच्छात शाम 7.00 बजे से बच्चों के द्वारा सामूहिक गीत एवं भारतीय संविधान की प्रस्तावना की व्याख्या दी गई। भारतीय संविधान की प्रस्तावना के वाचन से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर अंबेडकर युवा मंच के सदस्य कपिल चौरे के द्वारा बाबासाहेब एवं संविधान पर गीत की प्रस्तुति दी गई। सविधान दिवस कार्यक्रम को सफल बनाने में अंबेडकर युवा मंच के नितेश अंबादे, कुणाल रामटेके, देवेन्द्र मोटघरे, सागर हुमने, रत्नेश ऊके , मिलिंद खोबरागड़े , कपिल चौरे, जावेद खान, सात्विक रामटेके, सरगम हुमने ,राजा नंदेश्वर , सुमित दामके ,रश्मि नागदौने, प्रज्ञा मेश्राम , संघमित्रा वाहने, वर्षा रामटेके, महिमा पारेकर , नविता रावतकर, नालंदा रामटेके, विशाखा रामटेके, तक्षशिला गजभिए, सायूरी रामटेके, नीलिमा गुर्देकर की अहम भूमिका रही। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सभापति नजरुद्दीन, हड़प्पा विकास प्राधिकरण क्यों उपाध्यक्ष अभय नारायण राय ,हरीश वाहने, नरेंद्र रामटेके ,अशोक वाहने, सुखनंदन मेश्राम, नारायणराव हुमने, मगन गेडाम, एम. आर. बाम्बोडे, छेदीलाल मेश्राम, सुरेन्द्र रामटेके ,विनोद उके, मनोज बौद्ध, संतोष खोबरागड़े, जितेंद्र खोबरागड़े, मयंक मेश्राम, सारंग हुमने ,राजेश हुमने, डॉ पंकज टेंभुर्णेकर, दिलीप मेश्राम ,अविनाश ,आनंद, जयंत मेश्राम, राहुल , हर्षवर्धन रामटेके, शैलेश चंद्रिकापुरे, संजय राव ,शैलेश गजभिये, राजेश रामटेके , संजीत बर्मन , भरत खरसन जितेंद्र बंजारा ,राधेश्याम टंडन ,सुरेश दिवाकर ,आसिफ भाई ,जितेंद्र पाटले ,राजेश्वर सोनी, कृष्णा रात्रे, कमल सिंह, सुखनंदन मेश्राम, अनुज श्रीवास्तव, श्याम मुहूर्त ,कौशिक प्रभाकर ग्वाल, राम सिंह बौद्ध ,क्रांति साहू ,संतोष साहू, राजेश बंजारे ,रामबाबू बौद्ध, समाज अनुसूचित अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्याक महासंघ अजाक्स के पदाधिकारी एवं सदस्य बौद्ध समाज कार्यक्रम का संचालन संघमित्रा वाहने, देवेंद्र मोटघरे, कुणाल रामटेके प्रज्ञा मेश्राम एवं रश्मि नागदौने द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन नितेश अंबादे द्वारा किया गया।