छत्तीसगढ़ के बस्तर में बढ़ते टीबी मरीजों को देखते हुए साल 2025 तक टीबी मुक्त बस्तर बनाने का प्रशासन ने लक्ष्य रखा है और इसके लिए टीबी हारेगा बस्तर जीतेगा अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान के तहत शहर से लेकर गांव तक टीबी से संक्रमित मरीजों को ढूंढने और उनके इलाज का उचित इंतजाम करने का प्रयास प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है। 

अभियान की शुरुआत करने और इस अभियान को जोर देने के साथ स्वास्थ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को टीबी की बीमारी फैलने के कारणों, उसके ईलाज और रोकथाम के साथ ही वर्तमान स्थिति की जानकारी दी गयी। बस्तर में साल 2019 के आंकड़ो के हिसाब से 1550 टीबी के मरीजों की पहचान की गई थी। जिसके बाद स्वास्थ विभाग के अभियम से 2 सालों में थोड़ी कमी आयी और साल 2021 के आंकड़ों पर गिरावट देखी गयी। 1213 मरीजों की पहचान 2021 में की गई थी,  जिसमे स्वास्थ विभाग के द्वारा टीबी मरीजों को स्वस्थ कर लिया गया। वहीं फिलहाल अभी 484 टीबी मरीजों को निःशुल्क इलाज की सुविधाएं दी जा रही है।

जिले में टीबी मरीजों की पहचान के लिये बस्तर के 10 लाख से अधिक लोगों की जांच करने का लक्ष्य रखा गया है। सर्वे के दौरान देखा जाएगा कि किसी को खांसी व बुखार तो नहीं आ रहा है। अगर खांसी होगी तो मरीजों के सैंपल जमा करवाए जाएंगे और एक ब्लॉक में न्यूनतम 10 टीमों के द्वारा सभी गांव के घरों में सर्वे कर मोबाइल एप के द्वारा टीबी मरीजों की पहचान कर उनकी जांच की जाएगी।