हेलीकॉप्टरों के शोर से कांपा केदारनाथ
नई दिल्ली, 25 अप्रैल से 14 नवंबर 2023 तक केदारनाथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु केदारनाथ मंदिर के दर्शन करेंगे। इस बार श्रद्धालु बड़ी संख्या में केदारनाथ पहुंच रहे हैं। दर्शन के लिए एडवांस बुकिंग करा रखी है। हर 5 मिनट में एक हेलीकॉप्टर केदारनाथ मंदिर क्षेत्र में लैंड कर रहा है। जिसके कारण आसपास के ग्लेशियर और पहाड़ी में कंपन देखा जा रहा है। जिसके कारण कभी भी ग्लेशियर पड़ सकता है।
ग्लेशियर काटकर बना मंदिर?
केदारनाथ मंदिर को ग्लेशियर काटकर बनाया गया है। जिस तरह से हेलीकॉप्टर का शोर हो रहा है। उससे ग्लेशियर पर संकट उत्पन्न हो गया है। इसके साथ ही हेलीकॉप्टर और वाहनों के धुएं से यह क्षेत्र बड़ी तेजी के साथ प्रदूषित हो रहा है।
धार्मिक पर्यटन से कमाई का नया जरिया
धार्मिक पर्यटन के जरिए कमाई का एक नया रास्ता, सरकारों और कंपनियों ने खोज लिया है। धार्मिक पर्यटन के लिए बड़े पैमाने पर अवैज्ञानिक तरीके से घाटी में बसों, कारों और हेलीकॉप्टर के माध्यम से श्रद्धालुओं को बड़ी संख्या में हिमालय के धार्मिक स्थलों में पहुंचाया जा रहा है। श्रद्धालुओं में धार्मिक आस्था के स्थान पर पर्यटन की सोच होने से यह क्षेत्र पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचा रहा है। जो हिमालय घाटी के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
पहले 1 हेलीपैड अब 9
1997-98 तक यहां पर मात्र एक हेलीपैड बना हुआ था। अब यहां पर 9 हेलीपैड बन गए हैं। सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक हर 5 मिनट में एक हेलीकॉप्टर लैंड हो रहा है। 9 कंपनियां हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध करा रही हैं।एक हेलीकॉप्टर से प्रतिदिन 27 से 30 फेरे लगाए जा रहे हैं। जिसके कारण पूरा घाटी क्षेत्र हेलीकॉप्टर के शोर से कांपने लगा है।
250 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे हैं हेलीकॉप्टर
एनजीटी के अनुसार हेलीकॉप्टर केदारनाथ सेंचुरी में 600 मीटर से नीचे नहीं उड़ सकते हैं।लेकिन 250 मीटर की ऊंचाई पर धड़ल्ले से हेलीकॉप्टर उड़ाये जा रहे है। विमानन कंपनियां हेलीकॉप्टर के फेरे जल्दी लगे, और फ्यूल भी कम लगे। इसके लिए कम ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर उड़ा रहे हैं। आवाज भी यहां तय मात्रा से अधिक हो रही है। ग्लेशियर विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है, कि हम सरकार को पहले ही रिपोर्ट दे चुके हैं। इस तरह के पर्यटन से केदारनाथ मंदिर और घाटी में बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है।
कमाई के चक्कर में भगवान का अस्तित्व संकट में
इस समय केंद्र सरकार या राज्य सरकार या बड़े-बड़े उद्योगपति, सभी धार्मिक पर्यटन से ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं।भक्तों की आस्था जगाने, चमत्कार बताने, और सुविधाएं जुटाकर, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के चक्कर में सरकार और कारपोरेट कंपनियों द्वारा हिमालय की पहाड़ी को, जो पूरी तरह से संवेदनशील और शांत क्षेत्र था। धार्मिक पर्यटन के कारण कुछ ही समय के अंदर भारी नुकसान होने लगा है। धार्मिक पर्यटन के कारण मंदिर, पर्यावरण और वन जीवों के लिए भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है। उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार द्वारा बिना सर्वेक्षण कराए, विशेषज्ञों की सलाह लिए बिना जिस तरह धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के निर्णय ले रही है। उससे हिमालय का संपूर्ण क्षेत्र असुरक्षित हो गया है। ग्लेशियर के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है। जिसके कारण पूरी घाटी तबाही की ओर जा सकती है। विशेषज्ञों ने पहले भी चेतावनी दी थी इसके बाद भी शासन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण 2013 में एक बड़ा संकट इस क्षेत्र में आ चुका है। अब वही भूल 2023 में हो रही है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।