लैब ग्रोन डायमंड टेक्नोलॉजी इनोवेशन से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा....
आज के समय में तकनीक इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि अब लैब में भी हीरे बन रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि लैब में बने हीरे प्राकृतिक हीरे से सस्ते में मिल रहा है। ये डायमंड 75 फीसदा सस्ता मिल सकता है। भारत सरकार लैब वाले हीरे के बिजनेस को सपोर्ट कर रही है। बजट 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि लैब ग्रोन डायमंड टेक्नोलॉजी इनोवेशन से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। लैब में डायमंड बनाने कि लिए कार्बन सीड का इस्तेमाल किया जाता है। इस पर लगने वाले बेसिक कस्टम ड्यूटी को 5 फीसदी घटा दिया है। आइए आज जानते हैं कि लैब में बनने वाले हीरे बाकी हीरे से अलग कैसे हैं। लैब ग्रोन डायमंड को प्रयोगशालाओं में तैयार किया जाता है। ये असली हीरा जैसे दिखता है। इस हीरे को तैयार होने में 1 से 4 हफ्ते का समय लगता है। इन्हें सर्टिफिकेट के साथ बेचा जाता है।
लैब में हीरा कैसे बनता है?
प्राकृतिक हीरा बनने में कार्बन की जरूरत होती है। ये धरती के दबाव और ऊंचे तापमान में लाखों सालों में तैयार होता है। लैब में बनने वाले हीरा के लिए पहले कार्बन को कलेक्ट किया जाता है। इसके बाद हाई प्रेशर और हाई टेंपरेचर के जरिये आर्टिफिशियल हीरा यानी लैब ग्रोन डायमंड बनाया जाता है। इसको बनाने के लिए कार्बन सीड की जरूरत पड़ती है। इसे माइक्रोवेव चैंबर में रखकर डिवेलप किया जाता है। इसे तेज तापमान में गरम करने के बाद प्लाज़्मा बॉल बनाई जाती है। डायमंड बनाने के लिए कई हफ्तों तक कण को रखा जाता है जिसके बाद वो कुछ हफ्तो में डायमंड में बदल जाते हैं। इसके बाद उसकी कटिंग और पॉलिशिंग होती है।
लैब में बनने वाला हीरा है सस्ता
एक कैरेट नेचुरल हीरे की कीमत 4 लाख का तक होती है। जबकि लैब में बनने वाले हीरे की कीमत 1 से 1.50 लाख रुपये तक होती है। ये हीरे बाकी हीरे से सस्ते हैं इसलिए आज के समय में इसकी डिमांड बढ़ गई है। अगर आप ये डायमंड खरीदते हैं तो आपको सेम कलर, सेम कटिंग, सेम डिजाइन और सर्टिफिकेट के साथ मिलेगा। यानी कि आप इस हीरे को अपने हिसाब से कस्टमाइज्ड करवा सकते हैं।