नई दिल्ली। सोमवार का दिन भारत के लिए काफी ऐतिहासिक रहा। एक तरफ चुनावी मौसम में चौथे चरण के लिए मतदान हुए तो वहीं देश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किया।

अब ईरान का सबसे अहम बंदरगाह चाबहार 10 सालों के लिए भारत के जिम्मे में रहेगा। ईरान और भारत की इस डील को लेकर अमेरिका, पाकिस्तान और चीन की ओर से प्रतिक्रिया आई है। अमेरिका ने तो भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे डाली है। तो आइये 10 प्वॉइंट में समझें आखिर यह डील भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे ये अन्य देशों को व्यापार करने में मदद करेगी। 

चाबहार बंदरगाह समझौता भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

  • भारत ने रणनीतिक रूप से चाबहार के ईरानी बंदरगाह के प्रबंधन के लिए 10 साल का समझौता किया।
  • इसका उद्देश्य मध्य एशिया के साथ विस्तारित व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।
  • भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने के लिए नया रूट मिल जाएगा।
  • ऐसे में भारत को पाकिस्तान की जरूरत नहीं पड़ेगी, अभी तक इन देशों में जाने का रास्ता पाकिस्तान से था।
  • डील के तहत भारतीय की कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड चाबहार पोर्ट पर 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।
  • यह पोर्ट व्यापार और निवेश के अवसरों के रास्ते खोलेगा और इससे भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

पाकिस्तान-चीन की बढ़ेगी मुश्किलें?

इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब भारत विदेश में किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लिया है।
यह बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के लिए बैचेनी बढ़ाएगा।
चाबहार पोर्ट पाकिस्तान और चीन का मुकाबला करते हुए भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी लिंक के रूप में कार्य करेगा।