हरियाली तीज पर महिलाएं क्यों करती हैं 16 श्रृंगार
हरियाली तीज पर फुलों से श्रृंगार सोलह श्रृंगार में फुलों से श्रृंगार करना शुभ माना गया है. सूर्य और चंद्रमा की शक्ति वर्षा ऋतु में क्षीण हो जाती है. इसलिए इस ऋतु में आलस आता है. मन को प्रसन्नचित रखने के लिए फुलों को बालों में लगाना अच्छा माना गया है.
हरियाली तीज पर माथे पर टीका लगाना
माथे पर बिंदी या टीका लगाना एक श्रृंगार के तौर पर माना गया है. माथे पर सिंदूर का टीका लगाने से सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है. इससे मानसिक शांति भी मिलती है. इस दिन चंदन का भी टीका लगाया जाता है.
हरियाली तीज पर मेहंदी लगाना
हरियाली तीज पर मेहंदी लगाने की परंपरा है. स्त्रियां खास तौर पर इस दिन हाथों में मेहंदी लगाती हैं. ये सोलह श्रृंगार के प्रमुख श्रृंगार में से एक है. मेहंदी शरीर को शीतलता प्रदान करती है और त्वचा संबंधी रोगों को दूर करती है.
हरियाली तीज पर सिंदूर लगाना
मांग में सिंदूर लगाना सुहाग की निशानी है. वहीं इस स्थान पर सिंदूर लगाने से चेहरे पर निखार आता है. इसका अपने वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं. मान्यता है कि मांग में सिंदूर लगाने से शरीर में ऊर्जा को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है.
16 श्रृंगार में मंगल सूत्र का महत्व
मोती और स्वर्ण से युक्त मंगल सूत्र या हार पहनने से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मदद मिलती है. वहीं इससे प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है. मान्यता है कि गले में स्वर्ण आभूषण पहनने से हृदय रोग संबंधी रोग नहीं होते हैं.
कान में आभूषण का महत्व
कान में आभूषण या बाली पहनने से मानसिक तनाव नहीं होता है. कर्ण छेदन से आंखों की रोशनी तेज होती है. यह सिर का दर्द कम करने में भी सहायक होता है.
हाथों में कंगन या चूड़ियां पहनने का महत्व
हाथों में कंगन या चूड़ियां पहनने से रक्त का संचार ठीक रहता है. इससे थकान नहीं नहीं होती है. साथ ही यह हॉर्मोंस को भी नहीं बिगड़ने देती हैं.
बाजूबंद पहनने का महत्व
बाजूबंद पहनने से भुजाओं में रक्त प्रवाह ठीक बना रहता है. मान्यता है कि इससे दर्द से मुक्ति मिलती है. वहीं इससे सुंदरता में निखार आता है.
कमरबंद पहनने का धार्मिक महत्व
कमरबंद पहनने से पेट संबंधी दिक्क्तें कम होती हैं. कई बीमारियों से बचाव होता है. हार्निया जैसी बीमारी होने का खतरा कम होता है.
पायल पहनने का धार्मिक महत्व
पायल पैरों की सुंदरता में चार चांद लगाती हैं. वहीं इनको पहनने से पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा शरीर में संरक्षित होती है. इसका एक बड़ा कार्य महिलाओं में वसा को बढ़ने से रोकना भी है.
बिछिया पहनने का धार्मिक महत्व
बिछिया को सुहाग की एक प्रमुख निशानी के तौर पर माना जाता है. लेकिन इसका प्रयोग पैरों की सुंदरता तक ही सीमित नहीं है. बिछिया नर्वस सिस्टम और मांसपेशियां को मजबूत बनाए रखने में भी मददगार होती है.
नथनी पहनने का धार्मिक महत्व
नथनी चेहरे की सुंदरता में चार चांद लगाती है. यह एक प्रमुख श्रृंगार है लेकिन इसका वैज्ञानिक महत्व भी है. नाक में स्वर्ण का तार या आभूषण पहनने से महिलाओं में दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ती है.
अंगूठी पहनने का धार्मिक महत्व
अंगूठी पहनने से रक्त का संचार शरीर में सही बना रहता है. इससे हाथों की सुंदरता बढ़ती है. इससे पहनने से आलस कम आता है.
काजल लगाने का धार्मिक महत्व
काजल आंखों की सुरंदता को बढ़ाता है. वहीं आंखों की रोशनी भी तेज करने में सहायक होता है. इससे नेत्र संबंधी रोग दूर होते हैं.
मुख पर ब्यूटी प्रोडक्ट्स लगाने का महत्व
मुख पर ब्यूटी प्रोडक्ट्स लगाने से चेहरे की सुंदरता बढ़ती है. वहीं इससे महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और ऊर्जा बनी रहती है.